प्रथम स्कन्ध. प्रथम स्कन्ध मे कुन्ती और भीष्म से ‘भक्ति योग’ (Bhakti yoga) के बारे मे बताया गया य और ‘परीक्षित की कथा’ के माध्यम से ये बताया गया है कि एक मरते हुये व्यक्ति को क्या करना चाहिये? क्योकि ये प्रश्न केवल परीक्षित का नही, हम सब का है क्योकि ‘सात दिन’ ही प्रत्येक जीव के पास है, आठवां दिन है ही नही, इन्ही सात दिन मे उसका जन्म होता है और इन्ही सात दिन मे मर जाता है।,
प्रथम स्कन्ध मे कुन्ती और भीष्म से ‘भक्ति योग’ (Bhakti yoga) के बारे मे बताया गया य और ‘परीक्षित की कथा’ के माध्यम से ये बताया गया है कि एक मरते हुये व्यक्ति को क्या करना चाहिये? क्योकि ये प्रश्न केवल परीक्षित का नही, हम सब का है क्योकि ‘सात दिन’ ही प्रत्येक जीव के पास है, आठवां दिन है ही नही, इन्ही सात दिन मे उसका जन्म होता है और इन्ही सात दिन मे मर जाता है।
प्रथम स्कन्ध मे कुन्ती और भीष्म से ‘भक्ति योग’ (Bhakti yoga) के बारे मे बताया गया य और ‘परीक्षित की कथा’ के माध्यम से ये बताया गया है कि एक मरते हुये व्यक्ति को क्या करना चाहिये? क्योकि ये प्रश्न केवल परीक्षित का नही, हम सब का है क्योकि ‘सात दिन’ ही प्रत्येक जीव के पास है, आठवां दिन है ही नही, इन्ही सात दिन मे उसका जन्म होता है और इन्ही सात दिन मे मर जाता है।
द्वितीय स्कन्ध मे ‘योग-धारणा’ (Yog Dharna) के द्वारा शरीर त्याग की विधि बराई गयी है, भगवान का ध्यान कैसे करना चाहिये उसके बारे बताया गया है।
तृतीय स्कन्ध
By Vnita kasnia Punjab,
इसमे ‘कपिल-गीता’ का वर्णन है जिसमे ‘भक्ति का मर्म’ ‘काल की महिमा’ और देह-गेह मे आसक्त पुरुषों की ‘अधोगति’ का वर्णन मनुष्य योनि को प्राप्त हुये जीव की गति क्या होती है। केवल भक्ति से ही वह इन सब से छूटकर भगवान की और जा सकता है।
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