चतुर्थ स्कन्ध इसमे यह बताया गया है कि यदि भक्ति सच्ची हो तो उम्र का बंधन नही होता ‘ध्रुव की कथा’ ने यही सिद्ध किया है। ‘पुरजनोपाख्यान’ मे इन्द्रियों की प्रबलता के बारे मे बताया गया है।पंचम स्कन्ध By वनिता कासनियां पंजाबइसमे ‘भरत-चरित्र’ के माध्यम से यह बताया गया है कि भरतजी कैसे एक हिरण के मोह मे पडकर अपने तीन जन्म गवा देते है। ‘भवाटवी’ के प्रसंग में यह बताया गया है कि व्यक्ति अपनी इन्द्रियों के बस मे होकर कैसे अपनी दुर्गति करता है। ‘नरकों का वर्णन’ बताया गया है कि मरने के बाद व्यक्ति की अपने-अपने कर्मो के हिसाब से कैसे नरको की यातना भोजनी पडती है।,
चतुर्थ स्कन्ध
इसमे यह बताया गया है कि यदि भक्ति सच्ची हो तो उम्र का बंधन नही होता ‘ध्रुव की कथा’ ने यही सिद्ध किया है। ‘पुरजनोपाख्यान’ मे इन्द्रियों की प्रबलता के बारे मे बताया गया है।
पंचम स्कन्ध
इसमे ‘भरत-चरित्र’ के माध्यम से यह बताया गया है कि भरतजी कैसे एक हिरण के मोह मे पडकर अपने तीन जन्म गवा देते है। ‘भवाटवी’ के प्रसंग में यह बताया गया है कि व्यक्ति अपनी इन्द्रियों के बस मे होकर कैसे अपनी दुर्गति करता है। ‘नरकों का वर्णन’ बताया गया है कि मरने के बाद व्यक्ति की अपने-अपने कर्मो के हिसाब से कैसे नरको की यातना भोजनी पडती है।
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