इसमे भगवान की ‘ऎश्वर्य’ लीला’ का वर्णन है जहां भगवान ने बांसुरी छोडकर सुदर्शन चक्र धारण किया उनकी कर्मभूमि, नित्यचर्या, गृहस्थ, का बडा ही अनुपम वर्णन है। By वनिता कासनियां पंजाब एकादश स्कन्ध इसमे भगवान ने अपने ही यदुवंश को ऋषियों का श्राप लगाकर यह बताया की गलती चाहे कोई भी करे मेरे अपने भी उसको अपनी करनी का फ़ल भोगना पडेगा, भगवान की माया बडी प्रबल है उससे पार होने के उपाय केवल भगवान की भक्ति है, यही इस स्कन्ध का सार है। अवधूतोपख्यान – 24 गुरुओं की कथा शिक्षायें है।
इसमे भगवान की ‘ऎश्वर्य’ लीला’ का वर्णन है जहां भगवान ने बांसुरी छोडकर सुदर्शन चक्र धारण किया उनकी कर्मभूमि, नित्यचर्या, गृहस्थ, का बडा ही अनुपम वर्णन है।
एकादश स्कन्ध
इसमे भगवान ने अपने ही यदुवंश को ऋषियों का श्राप लगाकर यह बताया की गलती चाहे कोई भी करे मेरे अपने भी उसको अपनी करनी का फ़ल भोगना पडेगा, भगवान की माया बडी प्रबल है उससे पार होने के उपाय केवल भगवान की भक्ति है, यही इस स्कन्ध का सार है। अवधूतोपख्यान – 24 गुरुओं की कथा शिक्षायें है।
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